महावीर स्वामी ने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए

मानव समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर लाने वाले भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि को लिच्छिवी वंश में हुआ था। इस साल महावीर जयंती 6 अप्रैल है। महावीर स्वामी ने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए। जो हैं अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य ।


वचन और कर्म से होना चाहिए शुद्ध



  • महावीर स्वामी ने अपने उपदेशों से जनमानस को सही राह दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने पांच महाव्रत, पांच अणुव्रत, पांच समिति और छः जरूरी नियमों का विस्तार से उल्लेख किया। जो जैन धर्म के प्रमुख आधार हुए। जिनमें सत्य, अहिंसा, अस्तेय , ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह को पंचशील कहा जाता है। 

  • भगवान महावीर के अनुसार सत्य इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली है, हर परिस्थिति में इंसान को सच बोलना चाहिए। वहीं उन्होंने खुद के समान ही दूसरों से प्रेम करने का संदेश दिया। उन्होंने संतुष्टि की भावना मनुष्य के लिए अति आवश्यक बताई। जबकि ब्रह्मचर्य का पालन मोक्ष प्रदान करने वाला बताया। उनका कहना था कि ये दुनिया नश्वर है चीजों के प्रति अत्यधिक मोह ही आपके दुखों का कारण है।